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क्या पाई पूरी दुनिया की कॉमन करंसी बन सकती है ? 💵 Pi world currency 🤑Pi Network New Update Today🤑

 


क्या पाई सुपर सॉवरेन करेंसी बन सकती है ? मेटामित्र चैनल के व्यूअर्स जो पाई में तीन साल से जुड़े हुए हैं उन्हें पता होगा की शुरुआत में पाई प्रोजेक्ट बन रहा था तब सिर्फ माइनिंग करना था, रेफरल टीम और सिक्युरिटी सर्कल बनाना था। धीरे धीरे प्रोजेक्ट में विकास होता गया। फिर इसमें वॉलेट बना, ब्लॉक एक्स्प्लोरर, मेंनेट के आठ स्टेप बने, और kyc फीचर के बाद अब इकोसिस्टम बनना शुरू हुआ है। आज की तारीख में हम देखें तो पाई के भविष्य की दिशा के बारे में सोचने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है। 


पाई के व्हाइटपेपर के अनुसार पाई का दृष्टिकोण पीयर-टू-पीयर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है। यानि दुनिया में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली,  क्रिप्टोकरेंसी द्वारा संचालित पीयर-टू-पीयर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना । पाई न केवल दुनिया में सभी जगह, सभी बिसनेज में इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा बनने के लिए तैयार है, बल्कि पाई एक ग्लोबल डिजिटल करंसी बनने के लिए भी तैयार हैं।  अब इसमें जो समस्या है वो हे   देशों की वैधता विश्वसनीयता या क़ायदेसरता । दुनिया के सभी देश में क़ानूनी तौर से स्वीकृत होना चाहिए बस।   देखिए जिस देश में सरकार होती हे वहां कानून भी होता है और उसी से वहां मुद्रा की विश्वसनीयता बनी रहती है। और ये तो सीधी बात है की - कोई भी सरकार अपने देश में दूसरी मुद्रा को स्वीकार नहीं करेगी। है न ? जब पाई को पैसे के रूप में रखा जाता है तो केवल दो संभावनाएं हो सकती हैं। या तो पाई को दुनिया के देशों द्वारा स्वीकार किया जाएगा या नहीं किया जाएगा। 

चलो अब दोनों संभावनाएं थोड़ी डिटेल में देखते हैं। पहली संभावना पर विचार करते हैं की यदि पाई को सभी देशों द्वारा स्वीकार किया जाता है - मतलब की यह संभावना सच होती है तो क्या इसका उन देशों की मुद्राओं पर कोई प्रभाव पड़ेगा ? या उनकी अर्थव्यवस्था में क्या बखड़जंतर होगा ?


वास्तव में क्या है न की - कोई भी देश पाई को अपनी मुद्रा के रूप में उपयोग नहीं करना चाहेगा क्योंकि वर्तमान में प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था की अलग-अलग क्षमताएं और अलग-अलग विशेषताएं हैं। जिसकी वजह से सभी देश के लेवल एक समान नहीं है। कोई देश बड़ा हे, धनवान है, शक्तिशाली है, और कोई देश गरीब है , छोटा है या कमज़ोर है। कहने का अर्थ है ये सभी अर्थव्यवस्थाओं को तुरंत एक दूसरे के बराबर करना संभव नहीं है। एक ही दिन में सब को समान दर्जे पर लाना संभव नहीं। सामान्य रूप से राष्ट्र के हितों और विशेष रूप से जो देशों के समूह हैं वो समूहों के हितों के विषय में ये बात नहीं है। ये बात G8, G20,BRICS,OPEC, Saarc और  Soviyet union जैसे इकोनॉमिक ग्रुप जो बने हैं उनके बारे भी नहीं है। 

तो क्या विज़न है, क्या ऐसा  परिदृश्य है मतलब ऐसा क्या होना चाहिए ताकि ये सभी देश पाई को स्वीकार करेंगे। तो भाई , पाई को अपनाने वाले देशों के लिए, पहले पाई को खुद को एक सुपर सॉवरेन मुद्रा बनना चाहिए क्योंकि ये देश पाई को एक सुपर सॉवरेन करेंसी के रूप में स्वीकार कर सकते हैं। अब जैसे इंडिया ने अपनी क्रिप्टोकरेंसी सीबीडीसी की शुरुआत करने की पहल की है तो उसी प्रकार प्रत्येक देश अपनी स्वयं की सीबीडीसी क्रिप्टोकरेंसी जारी करेगा। नाम चाहे कोई भी हो। ये सीबीडीसी सभी देश की अपनी आंतरिक क्षमता के आधार पर और अपनी रणनीति के मुताबिक होगी। तो हो सकता है अब दुनिया के देश  अपनी अपनी सीबीडीसी और पाई के बीच एक विनिमय दर निर्धारित करेंगे। प्रत्येक अर्थव्यवस्था की अलग-अलग विनिमय दरें होती हैं। यदि ऐसा होता है तो सभी देश के सीबीडीसी के बीच विनिमय दरों को सूचीबद्ध करने की या लिस्टिंग करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूपांतरण और उपयोग करने के लिए ये एक कॉमन करंसी - सामान्य मुद्रा है। 


मित्रों, ये अनुमान किसके आधार पर लगाया जा सकता है ? तो आप जानते हैं कि वर्तमान में USD को एक अंतरराष्ट्रीय भुगतान मुद्रा के रूप में माना जा रहा है, हालांकि कोई आधिकारिक विनियमन नहीं है। 

कुछ कमजोर देशों को यही स्वीकार करना पड़ता है।  लेकिन बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, आत्मनिर्भरता के लिए रिसोर्सिस और महत्वाकांक्षा रखने वाले देश जैसे चीन, भारत, रशिया, ब्राजील - आदि और कई अन्य देश निश्चित रूप से ऐसा नहीं चाहते हैं। तभी तो हाल ही में रशिया ने इंटरनेशनल सौदे के चाइनीस युआन को स्वीकार किया न की अमरीकी डॉलर को। परन्तु ये शुरुआत हो चुकी है। 


वास्तव में,  वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक स्तरीय खेल के मैदान में प्रवेश करने के लिए ऐसे देशों को एक स्वतंत्र, पारदर्शी और निष्पक्ष मुद्रा की आवश्यकता है। जिस पर किसी देश का प्रभाव न हों। एक उदाहरण देखते हैं।

की कुछ जगहों पर नौकरी के लिए बहुत सारे उमेदवार इंटरव्यू देने जाते हैं उनमें से कई सारे प्रतिभाशाली होते हैं परन्तु सिर्फ एक उमेदवार ऐसा होता है जिसका सिलेक्शन पहेले से तय होता है। यानी ये निष्पक्ष सिलेक्शन नहीं हुआ। उम्मीद हे आप समज रहे हैं की उसी प्रकार बहोत देश ऐसे प्रतिभाशाली हैं जो डॉलर की पकड़ से बाहर निकलने के लिए विभिन्न तरीके खोज रहे हैं। इसलिए उनको एक निष्पक्ष मुद्रा की आवश्यकता है ऐसा सोच सकते हैं। 


पाई को एक सुपर सॉवरेन करेंसी के स्वरूप में अपनाने से वो भविष्य में उन देशों को लाभ मिलेगा और विशेष रूप से उनके सार्वजनिक ऋण की समस्याएं हल हो सकती है। ये एक अच्छी संभावना है। 


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अभी तो चीन और इंडोनेशिया में पाई की जो गतिविधियां हो रही है उस पर नजर रखनी बहोत आवश्यक लगती है। वियतनाम ने एक डिजिटल राष्ट्र की ओर डिजिटल अर्थव्यवस्था की सेवा के लिए क्रिप्टोकरेंसी के निर्माण में कई निर्देश जारी किए हैं। वियतनाम के प्रधान मंत्री जी की अमरीका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की विजिट होने के बाद वियतनाम में पहेली ब्लॉकचेन एसोसिएशन की स्थापना हुई है। इसके बाद बैंकिंग एसोसिएशन और चीन के ब्लॉकचेन एसोसिएशन के बीच भी सम्मेलन हुआ है। ये सब इसलिए बता रहे हैं की वहां सरकारें जिस प्रकार ब्लॉकचेन और  क्रिप्टो में इंटरेस्ट ले रही हैं तो वहां भी सीबीडीसी जैसी उनकी क्रिप्टो करंसी आएगी जरूर। और वहां की पब्लिक भविष्य में पाई को उसी क्रिप्टो में स्वेप भी कर सकेंगी। 


पाई -> फेसबुक -> व्हॉट्स एप : व्हॉटस्टप से पाई का पेमेंट भी हो सकता है। 


आइए अब टेक्नोलॉजी के दिग्गजों यानि महारथियों की चालों का निरीक्षण करें, जिनमें से सभी ने खुद को अपग्रेड करने के लिए इंटरनेट का वेब3 चुना है । सबसे पहले मि. एलोन मस्क जी ने ट्विटर खरीदा और घोषणा की कि वह इसे कुछ सुपर एप में बदलना चाहते हैं। वो इस पर क्रिप्टो का ट्रेडिंग भी भविष्य में करवा सकते हैं। 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और एपल की रेस शुरू हो चुकी है। फेसबुक ने मेटावर्स में अपना स्थान बनाने का ठान लिया है। आप सबको पता ही होगा की फेसबुक ने व्हॉट्सअप खरीद लिया था और अब गूगल पेमेंट की तरह व्हॉट्सअप से भी पेमेंट होना शुरू हो चूका है। मजेदार बात तो ये है की पाई नेटवर्क में फेसबुक से लॉगिन या एकाउन्ट बना सकते हैं और हो न हो भविष्य में इसी फेसबुक के व्हॉट्सअप से पाई के ट्रांसेक्शन अगर भविष्य में देखने को मिलते है तो पयोनियरों को तो आश्चर्य नहीं होगा बल्कि ख़ुशी होगी। है न ? जे बात।  परन्तु एक इंसान अगर एक से ज्यादा फेसबुक बना सकता है और ट्विटर अकॉउंट भी। तो अब पिक्चर में पाई की kyc का रोल सबसे महत्वपूर्ण होगा। क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अगर मेटावर्स में कदम रखता है तो उस नए बनने वाले इंटरनेट के ब्रह्मांड में इंसानों को पहचानना बड़ा कठिन हो जाएगा।  सबके अवतार होंगे उसमें असली मानव या इंसान को पहचानने के लिए KYC काम में आ सकता है। पयोनियरों हम तो ये सिर्फ एक संभावना पर विचार कर रहे हैं - ऐसी अनंत संभावनाएं या नए विचार करने में अभी से  हमारा मन उतना सक्षम नहीं है जितना आनेवाले समय के वैज्ञानिकों का होगा। 


इसलिए टेक्नोलॉजी की क्रांति को - कहो तूफान को रोकने का सामर्थ्य किसी एक देश के बस की बात नहीं। 

और ये दूरदर्शन जिस किसी भी देश की सरकार ने पहले से यानि अभी से कर लिया है, इसे देख लिया है वो अपने देशको टेक्नोलॉजी के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार करेंगे। इस टेक्नोलॉजी के युद्ध में जितने के लिए , टिके रहने के लिए - सभी देश अपनी अपनी रणनीति तैयार करेंगे।  दोस्तों फिर तो जो भी क्रिप्टो -उसका नाम चाहे कुछ भी हो सकता है - सबसे पहले दुनिया के कोने कोने में पहुंचेगा उसको स्वीकार किया जाएगा। पाई अगर पहले पहुंचा यानि फैला तो पाई को स्वीकार करना होगा।  पाई के बदले कोई और क्रिप्टो तेज गति से दुनिया में फैला तो वो भी सुपर सॉवरेन डिजिटल करंसी बन सकता है। तो आप रिसर्च करते रहें और खोजते रहें की कौनसा ऐसा क्रिप्टो हे जो इस पाई से सरल है, KYC और ट्रांसेक्शन स्पीड तो होनी ही चाहिए उसके उपरांत सब्जी वाला या चाय वाला भी उसे आसानी से ऑपरेट करना चाहिए। 


अगर आपको लगता है की पाई एक सुपर सॉवरेन करनसी मुद्रा बनने के लिए ग्लोबल कॉमन करंसी जो कर सकती है वो ही आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है तो पाई को पकड़िए। अगर नहीं है तो पाई को छोड़ सकते हैं। 


आइए देखें कि एक सुपर सॉवरेन कॉइन कौन सी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होता है। यानि सर्वश्रेष्ठ, मुख्य या उत्तम डिजिटल एसेट कोइन बनने के लक्षण क्या होते हैं। इसमें हमारी कुछ गलती हो तो कमेंट करके सुधारने का प्रयास जरूर करें। यू आर वेलकम। 


पहला पॉइंट है ,

1. सरल होना चाहिए। उपयोग में आसान , कोई भी अपना सकता है।  विश्व क्रिप्टोकरंसीज के इतिहास में पाई के लिए यह पूरी तरह से संभव है पाई इस महान कार्य को करने वाला पहला सिक्का है। हो सकता है भविष्य में ऐसे कई प्रोजेक्ट कोइन बने जो पाई के रास्ते पर चले। उस दिशा में चले - परन्तु पाई जैसी काबिलियत और प्रसिद्धि हासिल करने में उनको भी समय लगेगा। 


अब सॉवरेन करंसी बनने के लिए दूसरे लक्षण की बात करते हैं।  लम्बे समय तक चलने के लिए पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। तो पाई की मात्रा वैसे तो 100 बिलियन है। परन्तु एक पाई का सबसे छोटा हिस्सा माइक्रो पाई कहलाता है। एक पाई के एक मिलियन टुकड़े या हिस्से हो सकते हैं। तो 100 बिलियन पाई के सभी माइक्रो गिने तो कुल 100 मिलियन बिलियन यूनिट सबसे छोटी मुद्रा के बराबर है। और इसी लिए वॉलेट में जीरो पॉइंट के बाद सात शून्य तक रखे गए हैं। जिसका अर्थ है कि करंसी के स्वरूप में इतना छोटा माइक्रो पाई का भी ट्रांसेक्शन लेन-देन में गिना जा सकता है। इस तरह पाई कम से कम अगले 100 वर्षों के लिए दुनिया की मांग को सम्पूर्ण रूप से पूरा कर सकता है। 


मनी सप्लाई फैक्टर के बारे में सोचें तो Pi कोर टीम के लिए बीस बिलियन पाई रखे जाएंगे। यह पाई 10000 अकॉउंट में विभाजित हो सकते हैं तो प्रत्येक अकॉउंट में लगभग 2 मिलियन पाई होंगे । 


सो वर्षों में हर दस साल के बाद बाजार में पाई मनी सप्लाय करने का कार्य सोचें। तो ये दशजार अकॉउंट में से  प्रत्येक चक्र में 1000 अकॉउंट विसर्जित होंगे। यानि दो बिलियन पाई की मनी सप्लाई दुनिया के बाजारों में हर दस साल के बाद करने का प्लान हो सकता है। अब कुछ फेक्टर्स है जो संचलन में धन की मात्रा को प्रभावित करते हैं जैसे कि वॉलेट लॉस हो जाने पर पाई का नुकसान होता है, फिर आर्थिक विकास दर का कारण, इन्वेस्टमेंट में उतार-चढ़ाव का फेक्टर, लॉन्ग टर्म सप्लाई -तो इन कारकों के बारे में अच्छी तरह से अध्ययन करके इन सब से उत्पन्न होने वाली समस्या के लिए पाई की कोर टीम ने रणनीति भी बनाई होगी। 


और वे सब अकॉउंट संभवतः उन देशों के लिए होंगे यानि वो देश जो पाई को ग्लोबल कॉमन पेमेंट के स्वरूप में स्वीकार करते हैं। Pi कोर टीम सभी देश को उसकी अर्थव्यवस्था के माप के आधार पर एलोकेट करेगी या डिस्ट्रीब्यूट करेगी। उस देश का फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व या कुछ और एडिशनल रूट के जरिए भी ये अलोकेशन हो सकता है। इस तरह दुनिया के सभी देशों को पाई के इकोसिस्टम में जॉइंट होने के लिए वॉलेट और उसके साथ उनके वॉलेट में पाई भी होने चाहिए - तो इसका प्रबंध हो रहा है। 


आगे तीसरा लक्षण देखते हैं जो सुपर सॉवरेन करंसी बनने के लिए होना चाहिए। 

वो हे - किसी भी संगठन या व्यक्ति द्वारा हेरफेर नहीं किया जाना चाहिए। मित्रों यदि Pi का ब्लॉकचेन नेटवर्क इच्छित दिशा में संचालित होता है तो Pi निश्चित रूप से इसे भी पूरा करेगा। यह एक विशेष प्रकार का डिजिटल रिसोर्स बन जाएगा और अत्यंत दुर्लभ होगा जब इसने बिना किसी स्टैण्डर्ड के अपना मूल्य स्थापित कर लिया होगा। मनी का इतिहास देखा जाएं तो सभी करंसीयो को मूल्य स्थापित करने और स्थिर करने के लिए अनिवार्य रूप से किसी प्रकार के स्टैण्डर्ड स्थापित करने की आवश्यकता होती है।


ध्यान से सुने, पाई का स्टैण्डर्ड - डिमांड और सप्लाई के वास्तविक कानून द्वारा मापा जाएगा न कि अभी जो कण्ट्रोलेड डिमांड और सप्लाय हे उस प्रकार के कानून से। अभी वर्तमान में  सप्लाई और डिमांड के कानून में ज्यादातर अमरीकी डालर द्वारा मैनिपुलेट यानि हेरफेर किया जा रहा है। वो भी फेडरल इंटरेस्ट रेट के मुताबिक। उम्मीद हे आप समज रहे हैं। यहाँ पाई के लिए केवल एक चीज की जरूरत है, वह है गुड्स और सर्विसिस की मांग। जब नेचरल डिमांड होगी तो सप्लाई भी होगी और यही चीज सबसे रिअलिस्टिक स्टैण्डर्ड है।


चौथा आगे लक्षण जो सुपर सॉवरेन करंसी बनने के लिए होना चाहिए उसमें कुछ अन्य फेक्टर्स हे जो टेक्नोलॉजी पर निर्भर करते हैं। जैसे की निष्पक्षता, पारदर्शिता और सुरक्षा। जो लोग ब्लॉकचेन नेटवर्क को समझते हैं, वो  इस फैक्टर को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि पाई क्रिप्टो करंसी की दुनिया में नंबर वन है।  


तो एक सुपर सॉवरेन करंसी के बारे में बात की जाए तो अभी ये चार पॉइंट में से सिर्फ एक चौथा पॉइंट पाई में है। यानि चौथे पॉइंट का लक्षण पाई में है जिससे पाई सुपर सॉवरेन करंसी बन सकता है उसका परीक्षण जारी है। 


परन्तु जब ओपन मेंनेट आता है तो निश्चित रूप से यह सुपर सॉवरेन करंसी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त से अधिक है। यानि इन चार पॉइंट के आलावा दूसरे लक्षण भी पाई में होंगे जिससे पाई सुपर सॉवरेन करंसी बनने के लिए अपना स्थान मजबूत बना लेगा। 


और अगर यह पहली संभावना सच होती है यानि सभी देश पाई को स्वीकार करते हैं तो ये GCV की जो विवादास्पद कहानी हे वो एक वास्तविकता बन जाएगी। यानि GCV - ग्लोबल कनसेन्स वेल्यू सच हो सकती है। 


उस समय सभी पायनियर्स - अपने देश के नेशनल फॉरेन करंसी रिज़र्व के निर्माण में योगदान देनेवाले महान व्यक्ति होंगे। उनका नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। 


तब यह पूरी तरह संभव है कि निश्चित रूप से हम बहुत अमीर होंगे। तब लगेगा की इस तरह दूर दृष्टि रखने वाले हम सब पयोनियरों के लिए अमीर बनना कितना सरल  था नहीं ? - लेकिन ऐसा होने में कितना समय लगता है है वो देखना है। ये धैर्य की एक जबरदस्त रोमांचक कहानी है जो सच हुई तो अपने पोतों पोतियों को गर्व से सुनाएंगे। 


अब हम दूसरी संभावना पर भी एक बार विचार कर लेते हैं। की क्या होगा अगर पाई को सभी देश स्वीकार नहीं करते हैं। या फिर कुछ देश मान्यता देंगे और कुछ नहीं देंगे या देर से देंगे। जब पाई को सभी देशों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है, तो ये किसी भी देश में सर्क्युलेट नहीं होगा। केवल पाई के ब्लॉकचैन नेटवर्क पर पाई की इकोसिस्टम में ये चलेगा। कुछ देश में अगर पाई को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं मिलती है तो पाई भी बिटकॉइन की तरह डिजिटल एसेट रहेगा। हो सकता है पाई दूसरे क्रिप्टो की तरह सिर्फ एक अवैध, गैरकानूनी मुद्रा बन के रह जाए जो कई आपराधिक संगठनों के लिए, स्मगलर्स के लिए - मनी लॉन्ड्रिंग चैनल बन सकती है।  

और एक तरह से उस देश की सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती है। 


यदि पाई पर जो भी देश पाबंदी लगाता हे तो वहां इसे दूसरे क्रिप्टो की तरह नहीं रखा जा सकता है।  यदि यह गैरकानूनी बनता है तो यह दुनिया में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी नहीं बन सकती है। सभी देश इसे अस्वीकार करते है तो पाई के व्हाइट पेपर में जो विजन हे वो अर्थहीन हो जाता है। 


लेकिन लेकिन लेकिन - पाई की टेक्निकल मजबूती , स्टेलर कनसेन्स प्रोटोकॉल जो आई इस आई द्वारा मान्य है - उससे पता चलता है कि यह पाई नेटवर्क प्रोजेक्ट कोई घोटाला या स्केम नहीं है। इसलिए यह दूसरी संभावना बहुत दुर्लभ है। दूसरे शब्दों में कहें तो पाई को गैरकानूनी क्रिप्टो या डिजिटल एसेट मान कर उसे अस्वीकार करने की संभावना या चान्सिस बहुत कम है। बहुत कम। इसलिए चिंता करने की जरूरत ही नहीं लगती। 


जैसा कि व्हाइटपेपर में कहा गया है कि यह एक बड़ा विज़न है जो धीरे-धीरे चरणों में प्रकट होने वाला है। 

पाई कोर टीम तो केवल इस मिशन को पूरा करने के लिए सौंपे गए लोग हैं, उनके पीछे एक नेतृत्व टीम और एक रणनीतिक स्टाफ हो सकता है जो कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट हों। उनके बेकअप में ऐसे माहिर योद्धा हो सकते हैं जो अपने क्षेत्र में धुरंधर हों। 

चाइना और विएतनाम की सरकारों को शायद ये बात समज में आ गई है। इसलिए वो इसको समर्थन दे रहे हों और वहां व्यापारियों को भी GCV की कीमत पर व्यापार करने में अभी कोई रोक टोक या पाबंदी नहीं दिखती है। 


बहुत कुछ कहना है , परन्तु इस वीडियो को समाप्त करना भी जरुरी है। 

लास्ट में - कुछ चीजों पर ध्यान रखना जरुरी है वो जानते हैं। इस समय पाई को किसी भी प्रकार से बेचने की गलती नहीं करनी है।  अपने देश के बाहर की चीजें पाई से खरीदने की गलती भी नहीं करनी है। अगर हम पाई को ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए विदेश में जाने देते हैं तो हम राष्ट्र के खिलाफ अपराध करते हैं। ये किसी भी कारण से न करें।  अगर हम गरीब हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कुछ और थोड़े समय के लिए गरीब रहें । परन्तु यदि हम अपनी कठिनाइयों से तात्कालिक छुटकारा पाने के लिए पाई को शुरुआत में बेच देंगे तो तो हम भविष्य में अपने और अपने परिवारों के लिए बड़ी समस्याएँ खड़ी करेंगे। ये पाई की गेम सिर्फ एक्सचेंज, KYC और इकोसिस्टम तक सिमित नहीं है। इसकी जिंदगी बड़ी लम्बी है - ब्रह्मास्त्र की तरह इसका प्रभाव देखना अभी बाकी हैं। समजो आपको एक तरह से पाई का बहुत बड़ा खेत मिल गया है - इसमें अनेक तरह की फसल उगने में और इसे जंगल बनने में समय लगेगा। जंगल से कितने लाभ होते हैं वो सोचें। और खेत को नष्ट कर देंगे तो क्या होगा वो सोचें। 


यदि पहली संभावना सच होती है तो musk या अमेज़ॅन या पाई के पीछे जो भी बड़ा आदमी है उसे भूल जाइए। क्योंकि तब सिर्फ वो ही अकेले नहीं होंगे जिन्हें पाई की है। पाई का काम उसके ग्लोबल मिशन में अपनी भूमिका अच्छे से निभाना है ताकि पाई वास्तव में एक सुपर सॉवरेन करेंसी बन सके। 


हम सब पायोनियर पाई की कॉम्यूनिटी कहलाते हैं चलो एक समुदाय के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। 

पाई जीवन की गाड़ी की हेडलाइट से निकलता हुआ प्रकाश है। उसको पकड़ने की कोशिश न करें बल्कि उसी के साथ अपने जीवन की गाड़ी चलाना सीखना है। 


प्रत्येक युग में धन वितरण की एक प्रक्रिया होती है। इस युग में, धन अब कड़ी मेहनत का प्रतिफल नहीं है, बल्कि समझ का प्रतिफल है। अपनी समज बढ़ाएं। देखिए अवसर संदेह से शुरू होता है, विकसित तर्क से होता है और जीवन में मिलनेवाले जयजयकार और वाहवाही के शब्दों के साथ समाप्त होता है! तो उत्तम अवसर पकड़ने के लिए नया नया जानते रहें और प्रसन्न रहें। मेटामित्र के साथ जुड़े रहें। मेरामित्र मेटा मित्र। जयहिंद जय भारत।




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